नमस्कार मित्रों आज मैं अपने ब्लाग "शायराना" की शुरुआत कर रहा हूँ । आशा है आप लोगों का भरपूर समर्थन और प्यार मिलेगा । एक छोटी सी गज़ल प्रस्तुत करता हूँ । जैसी भी लगे यह रचना बताइयेगा ।
ज़िन्दगी की धूप में दोस्ती की छाँव दे दो,
मन के मेरे आंगन में अपने पाँव दे दो ।
तन्हा साँसे लूँ राहत भरी हवाओं में,
मीठे प्यारे सपनों का ऐसा गाँव दे दो ।
बेचैनी होती है लोगों की बेतुकी ज़ुबां से,
मन रम जाये लफ़्जो का ऐसा बहाव दे दो ।
तलबगार रहता हूँ न जाने किस एहसास का,
मन पिघल न पाये एहसासो का ऐसा जमाव दे दो ।
नजरें मेरी भुला न पाये कभी भूले से भी,
मुस्कान में अपनी वो बेहतरीन कसाव दे दो ॥